सदभाव की मिसाल ( सच्ची घटना पर कविता)

 



(सच्ची घटना पर आधारित कविता)

 



सदभाव की मिसाल

 

डाॅ देवेन्द्र जोशी

 

भोपाल के गणेश विसर्ज 

हादसे में जान गंवाने वाले

11 लोगों में 12 साल का

परवेज भी था।

5 साल की उम्र से हर साल

गणेशोत्सव झांकी में 

आ रहा था, आरती में हो

शामिल 'जय गणाश - जय 

गणेश' गा रहा था।

दिन भर पाण्डाल में रहता 

बप्पा की सेवा सुश्रुषा कर

रात को घर चला जाता था 

सुबह फिर पाण्डाल में 

लौट आता था।

इस बार विसर्जन में जाने से 

मां ने रोका/ टोका तो 

बोला - 'आगे से नहीं

जाऊंगा आखरी बार अगरबत्ती

के 10 रू दे दे अम्मी!

शीघ्र लौट आऊंगा'।

इतना कहा और वो चला गया

नाव हादसे में परवेज विसर्ज की

भेंट चढ गया।

बच्चे हो या भगवान

ये भेद नहीं करते हिन्दू और

मुसलमान में,

इन्हें अंतर पता नहीं 

राम और रहमान में।

इनके पवित्र अंतःकरण 

को भिन्न नहीं लगते 

अल्लाह और भगवान,

इनके लिए एक ही है

आरती और अजान। 

काश! निराकार ईश्वर

और अबोध बचपन 

के इस बोध को तथाकथित

बुद्धिवाले वे उन्मादी लोग

समझ पाते जो मजहबी सियासत के

नाम पर भाई को भाई से

भिडाते हैं और अनेकता में एकता के

हंसते - खेलते गुलशन में

नफरत की आग लगाते हैं।

-डाॅ देवेन्द्र जोशी