सड़क दुर्घटना में हर घंटे 17 मौतें होती है। देश में हर साल 4,80,652 सड़क दुर्घटनाएँ होती है।जिनमें 1,50,785 लोग असमय मौत के शिकार होते हैं ।एक दिन में 1317 सड़क हादसे तथा इनमें 413 लोगों की मौत होती है। जो प्रति घंटे 55 और 177 प्रतिदिन के बराबर बैठती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यू एच ओ) ने 2009 में सड़क सुरक्षा पर अपनी पहली वैश्विक स्थिति रिपोर्ट में सड़क दुर्घटनाओं की दुनिया भर में "सबसे बड़े कातिल" के रूप में पहचान की थी। भारत में होने वाली सड़क दुर्घटनाओं में 78,7 प्रतिशत हादसे चालकों की लापरवाही के कारण होते हैं ।इसकी एक प्रमुख वजह शराब व नशीले पदार्थों का सेवन कर वाहन चलाना है। कम्यूनिटी अगेन्स्ट ड्रंकन- ड्राइव( कैड) द्वारा सितम्बर से दिसम्बर 2017 के बीच कराए गये ताजा सर्वे में यह बात सामने आई है कि दिल्ली एन सी आर के लगभग 55,6 प्रतिशत ड्राइवर शराब पीकर गाड़ी चलाते हैं । यह बात उन्होंने खुद स्वीकार की है।जब देश की राजधानी का यह हाल है तो अन्य भागों का अन्दाजा सहज ही लगाया जा सकता है।इसके अलावा सड़क दुर्घटनाओं की प्रमुख वजहों में क्षमता से अधिक सवारी बैठाना,तेज गति से वाहन चलाना,ड्राइवर का थका हुआ होना और लापरवाही से वाहन चलाना आदि शामिल है।
हमारी विडंबना यह है कि जहाँ हमें पश्चिम देशों से कुछ सीखना होता है वहां हम आंखें मूंद लेते हैं और पश्चिम की जिन चीजों की हमें जरूरत नहीं है उन्हें सिर्फ इसलिए अपना रहे हैं कि हम भी आधुनिक और प्रगतिशील कहला सकें।पश्चिमी देशों में सड़क दुर्घटना में घायल लोगों को अस्पताल पहुंचाने के लिए एयर एम्बूलेंस की सुविधा उपलब्ध है।इस मामले में हम अब भी पिछड़े हुए हैं ।भारत में एक भी एयर एम्बूलेंस नही है। जो प्रायवेट एम्बूलेंस हैं वे महंगी होने से आम आदमी की पहुंच से बाहर होती है। इसलिए बहुत से लोग सडक दुर्घटना के बाद समय पर उपचार न मिलने के कारण मौत के शिकार हो जाते हैं।