उज्जैन। 'राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के सत्याग्रह को जन - जन में प्रतिष्ठित करने में मध्यप्रदेश का अविस्मरणीय योगदान रहा है। गांधी जी सन् 1920 में सत्याग्रहियों से मिलने यहां स्वयं आए थे। इससे पूर्व उन्होंने 28 मार्च 1918 की ऐतिहासिक इन्दौर यात्रा में हिन्दी को राष्ट्रभाषा बनाने की पुरजोर वकालत की थी।' उक्त विचार सुप्रसिद्ध गांधी चिन्तक एवं गांधी विचार मंच ( स्कोप) की मुख्य कार्यकारी डाॅ शोभना ने त्रिवेणी कला संग्रहालय में 23 जनवरी की शाम गांधी कथा सुनाते हुए कही। कार्यक्रम का आयोजन संस्कृति विभाग मध्यप्रदेश द्वारा किया गया था। इस सिलसिले में मध्यप्रदेश प्रवास पर आई डाॅ शोभना ने इन्दौर और भोपाल में गांधी कथा के माध्यम से राष्ट्रपिता गांधी के जीवन मूल्यों का जन - जन में अलख जगाया।
डाॅ शोभना ने कहा कि गांधी जी का जीवन श्रद्धा और पुरषार्थ का महाकाव्य है। जिसे पढने के लिए सकारात्मक जीवन जीने की आवश्यकता है। आज लोगों की सकारात्मक सोच कहीं खो गई है इसी कारण अधिकांश लोग किसी न किसी कारण से दु:खी बनजर आते है।महात्मा गांधी के 150 वें जन्मशती वर्ष के अवसर पर गांधी कथा का वाचन करने मध्यप्रदेश प्रवास पर उज्जैन पहुंची डाॅ शोभना ने कहा कि साहित्य, कला संस्कृति और महाकाल की नगरी उज्जैन में पहली बार गांधी कथा करना उनके लिए सौभाग्य की बात है । वे भारत समेत विश्व के तीस से भी अधिक देशों में गीत- संगीत, दृश्य व्याख्या समाहित गांधी कथा की प्रस्तुति दे चुकी है। उल्लेखनी है कि डाॅ शोभना के पिता केएस राधाकृष्ण ने गांधीजी के साथ रहकर देश के स्वाधीनता आंदोलन में काम किया है। उनका भी पूरा बचपन गांधीजी के सेवाग्राम में ही व्यतीत हुआ। वे दस वर्षों से अधिक समय से गांधी कथा कर रही है। इसकी प्रेरणा उन्हें अपने पिताजी से प्राप्त हुई। गांधी कथा करने का मुख्य उद्देश्य आम जनता तक गांधी के कार्यों, आदर्शों को पहुंचाना है। हर एक व्यक्ति के भीतर गांधी छुपा हुआ है, उसे बाहर लाना ही गांधी कथा का मूल ध्येयहै। डॉ. शोभना अपने पति डॉ. रवि चोपड़ा के साथ मिलकर अब तक सभी स्केनडेवियन व यूरोपीय देशों के अतिरिक्त आस्ट्रेलिया, फिजी आदि देशों में गांधी कथा कर चुकी है।
इस अवसर पर डाॅ शोभना राधाकृष्णन को डाॅ देवेन्द्र जोशी ने अपने ग्रन्थ गांधी जी के जीवन पर आधारित महाकाव्य ' महात्मायन' और शोध ग्रन्थ 'राष्ट्रमाता कस्तूरबा' भेंट किया।