आवाज जिसका जादू सर चढ़कर बोला

आवाज जिसका जादू सर चढ़कर बोला


 


डॉ देवेन्द्र जोशी


 


दूरदर्शन पर इन दिनों प्रसारित हो रहे धारावाहिक महाभारत के जरिए देशभर में गूंज रही एक आवाज ‘मैं समय हूं’ घर -घर में चर्चित है।‌‌‌‌ कम ही लोगों को‌ पता है कि यह आवाज प्रसिद्ध कलाकार हरीश भिमानी की है।‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌ बिना पर्दे पर आए सिर्फ अपनी आवाज़ से करोड़ों लोगों का दिल जीतने वाले हरीश भिमानी की आवाज‌ ही अब उनकी पहचान ‌‌‌‌बन चुकी है।‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌ एंकरिंग से ‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌अपनी शुरूआत करने‌ वाले हरीश भिमानी की महाभारत में सूत्रधार बनकर समय के रूप में उभरने की कहानी भी बड़ी दिलचस्प है।


दूरदर्शन पर महाभारत का फिर से प्रसारण हो रहा है। ऐसे में महाभारत की पौराणिक कहानियां और इस सीरियल से जुड़े किस्से सोशल मीडिया पर घूम रहे हैं। महाभारत सीरियल से जुड़ा एक ऐसा ही किस्सा है। आप महाभारत की कहानी बताने वाले सूत्रधार ‘मैं समय हूं’ की आवाज तो सुनते ही होंगे। यह आवाज सभी के बीच बहुत लोकप्रिय है। ‘मैं समय हूं’ के किरदार को निभाने वाले व्यक्ति को महाभारत में तो कभी नहीं दिखाया गया लेकिन उनकी आवाज एक बार फिर से लोगों को सुनने को मिल रही है। इस दमदार आवाज के पीछे हरीश भिमानी है। हरीश भिमानी की इस आवाज ने लोगों के ऊपर ऐसा जादू चलाया कि उनकी आवाज को आज भी याद किया जाता है।


 कैसे हरीश की आवाज समय की आवाज बनीं इसका खुलासा करते हुए हरीश ने एक इंटरव्यू में बताया था, 'एक शाम मुझे शो के कास्टिंग डायरेक्टर गूफी पेंटल का फोन आया कि बीआर के मैन स्टूडियो में आ जाना कुछ रिकॉर्ड करना है। मैंने पूछा क्या है, तो उन्होंने कुछ साफ नहीं बताया क्योंकि आमतौर पर इस क्षेत्र में क्या रिकॉर्ड होने वाला होता है इसके बारे में बताया नहीं जाता है। बहरहाल, मैं स्टूडियो पहुंचा और मुझे एक कागज दिया गया। मैं उसे पूरा कर पाऊं उससे पहले ही मुझे बोला गया कि यह डॉक्यूमेंट्री जैसा लग रहा है। तो मैंने कहा हां और क्या है? उन्होंने मुझे बताया नहीं, तो मैंने फिर से किया।


 

हरीश बताते हैं कि 'मुझे फिर वहां से जाने को कहा गया। तब मुझे लगा कि शायद मैं सलेक्ट नहीं हुआ। लेकिन करीब तीन दिनों के बाद मुझे फिर से बुलाया गया और मैंने 6-7 टेस्ट दिए। इसके बाद उन लोगों ने मुझे सब समझाया कि कैसे 'समय' को आवाज देनी है। तीसरी बार जब रिकॉर्डिंग हुई तो मैंने एक सुझाव दिया कि आप आवाज बदलने को कह रहे हैं, जबकि बनावटी आवाज बनाने के बाद वो मजाकिया लगकर अपनी गंभीरता खो देगी। ऐसे में उन्होंने सुझाव मान लिया और रिकॉर्डिंग हुई और मेरी आवाज ‘समय’ की आवाज बन गई।' 





 15 फरवरी 1946 को जन्मे हरीश एक लेखक, प्रस्तोता, आवाज के कलाकार, दस्तावेजी सिनेमा व कोर्पोरेट फिल्मों के निर्माता हैं। इन्हें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार 2016, में वाईस ओवर/नेरेशन श्रेणी में राष्ट्रपति पदक प्रदान किया गया। इन्होनें भारतीय टीवी धारावाहिक महाभारत (बी.आर.चोपड़ा कृत) में सूत्रधार 'समय' को आवाज दी और देश में सर्वाधिक पहचाने जाने वाली आवाज बन गए। इन्हें 22000 से अधिक रेकोर्डिंग का अनुभव है। 1980 के दशक के बाद से इन्होने अग्रणी सार्वजनिक कार्यक्रमों और समारोहों की मेजबानी के अलावा कई वृत्तचित्रों, कॉर्पोरेट फिल्मों, फीचर फिल्मों, टीवी और रेडियो विज्ञापनों, खेल, संगीत एल्बमों में अपनी आवाज दी है। मीडिया ने हरीश भीमनी को 'भारत के सबसे मान्यता प्राप्त आवाज़ों में से एक' और 'ए राइटर विद ए ज़िंग' के रूप में वर्णित किया है। 


हरीश भिमानी का पैतृक सम्बन्ध राजस्थान के जैसलमेर से है, वहां से इनके पूर्वज गुजरात के मांडवी और फिर कोलकाता को निवास बनाया। हरीश का जन्म मुंबई में हुआ। ये अपने पांच भाई-बहनों में चौथी संतान है। इन्होंन भद्र न्यू हाई स्कूल, हंसराज मोरारजी पब्लिक स्कूल, एलफिन्स्टन कॉलेज, मुंबई, लक्ष्मीनारायण इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, नागपुर में अध्ययन किया और प्रतिष्ठित जमनालाल बजाज इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज, बॉम्बे विश्वविद्यालय से एमबीए किया। हरीश अपनी 'वोईस आर्टिस्ट' पत्नी रेखा के साथ मुंबई में रह रहे है।  हरीश भिमानी ने टीवी समाचार वाचक के रूप में बोम्बे टीवी से शुरुआत की। इन्होनें महाभारत धारावाहिक में सूत्रधार 'समय' के रूप में आवाज दी। इन्होने खानदान, सुबह, इनकार, सुकन्या, ग्रहण जैसे धारावाहिक लिखे। देशी -विदेशी कमर्शियल विज्ञापन व फीचर फिल्मों में अपनी आवाज दी है।


आवाज‌ से अपनी प्रतिभा का जलवा बिखेरते अभी तक गायक वक्ता कवि कलाकार को देखा सुना था।नाटक में कथा सूत्र जोड़ने और मनोरंजन करने ‌‌‌‌‌‌वाले विदूषक के बारे में भी‌ सुना पढ़ा था।‌‌‌‌ लेकिन इतनी लम्बी अवधि तक प्रसारित होने वाले धारावाहिक में बिना अपना चेहरा दिखाए  समय बनकर दर्शकों को कथासूत्र से अवगत कराने की यह मौलिक कल्पना अद्भुत थी जिसे हरीश भिमानी ने समय के रूप मेें ‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌ छोटे पर्दे पर जिस तरह से रूपायित किया उससे कहीं लगता ही नहीं कि यह मूल कथा का हिस्सा नहीं है। यही किसी कलाकार की सबसे बड़ी कामयाबी है कि उसकी कला बनावटी न लग कर स्वाभाविक लगने लगे।‌ इस धारावाहिक निर्माण के समय महाभारत की बिखरी और उलझी हुई कहानी को सिलसिलेवार रूप में सामने लाना बी आर चोपड़ा के सामने जितनी गंभीर चुनौती थी‌ उसे हरीश भिमानी की दमदार आवाज ने‌ उतनी सहजता सेएक अवसर में ‌‌‌‌‌‌‌‌बदल कर इतिहास रच दिया। इसी को कहते हैं कल्पना और प्रतिभा का मणिकांचन संयोग।‌