ऐ मेरे वतन के लोगो...गीत का कोरोना वर्जन आया सामने
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उज्जैन के कवि साहित्यकार डॉ देवेन्द्र जोशी ने लिखा यह श्रद्धांजलि गीत
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*सान्दीपनि न्यूज
उज्जैन। जब सारी दुनिया के साथ भारत भी कोरोना महामारी से जूझ रहा है ऐसे समय में भारत में इसका मुकाबला एक जंग की तरह किया जा रहा। कोई इसे आपातकाल कह रहा है तो किसी ने इसकी तुलना आजादी की लड़ाई से की है। ऐसे समय में जनता को कैरोना से जागरूक करने और इस महामारी में सैनिक की तरह अपनी जान जोखिम में डालकर संक्रमितों को बचाते हुए जान गंवाने वाले डाक्टरों तथा निर्दोष मरने वालों को श्रद्धांजलि देते हुए देश के वरिष्ठ कवि साहित्यकार डॉ देवेन्द्र जोशी ने एक गीत लिखा है जिसे खूब सराहा जा रहा है। यह गीत रचना इस प्रकार है-
ऐ मेरे वतन के लोगों...
(कोरोना वर्जन)
ऐ मेरे वतन के लोगों तुम खुद से करो ये वादा
कोरोना को भगा के रहेंगे, फैलने न देंगे ज्यादा
ये मत भूलो आईसीयू में निर्दोषों ने प्राण गंवाए
याद उन्हें भी कर लो जो हाॅस्पिटल से घर न आए
ऐ मेरे वतन के लोगों बन्द करो अपनी मनमानी
जो बच न पाए देशवासी याद करो उनकी कुर्बानी
जब कोरोना आया भारत खतरे में पडे हिन्दुस्तानी
सब एकजूट हो लडे, इसे भगाने की सबने ठानी
संक्रमितों का करते इलाज मरे जो डाॅक्टर बलिदानी
मरकर हुए जो शहीद जरा याद करो उनकी कुर्बानी
कोई हिन्दू कोई मुस्लिम कोई सिख कोई इसाई
कोरोना जंग से लडने,एकजुटता सबने दिखलाई
चीनी कोरोना से लडने वाला हर वीर था हिन्दुस्तानी
जो शहीद हुए उन देशवासियों की याद करो कुर्बानी
कोरोना से था घिरा देश, फिर भी सबने खुशियां बांटी
पैदल चलकर गांव गए, भूखे रहकर रातें काटी
जब हम घरों में बैठे थे डाॅक्टर कर रहे थे इलाज
जब हम देख रहे थे रामायण, वे निभा रहे थे काज
कोरोना से लडने का जज्बा सब में था बेशुमार
भूख प्यास की चिंता नहीं, जंग जीतने का था खुमार
अमीरों ने दिया दान सरकारों ने खोल दिए खजाने
ताकि रोज कमाने वालों के पेट पहुंच सके अन्न के दाने
क्या लोग थे वो दानवीर कर्मवीर निरअभिमानी
जो कोरोना जंग में चले गए याद करो उनकी कुर्बानी
तुम भूल न जाओ उनको इसलिए सुनो ये कहानी
जो कोरोना में बच न सके याद करो उनकी कुर्बानी।