कोविड -19 के प्रथम बलिदानी को शत - शत प्रणाम
मानवता के मसीहा का महाप्रयाण
डाॅ देवेन्द्र जोशी
कोविड -19 की जंग मे है ये पहली कुर्बानी
तुम भूल न जाओ इसलिए सुनो ये कहानी
नाम था डाॅ शत्रुघ्न पंजवानी, पेशा जीवनदान
लेकिन कर न सके खुद की बीमारी का निदान
जब छिडा सकल विश्व में कोरोना महासमर
सेवाभावी चिकित्सक हो रहे हैं मर कर अमर
जब चहुं ओर से आ रहे कोरोना संक्रमित रोगी
ऐसे में है चिकित्सा चुनौती रखना खुद को निरोगी
रोगी के रोग से रहना निरोग रही गंभीर समस्या
जीवन बचाने वाली पूनम बने न काली अमावस्या
जब मारे डर के सब रह रहें हो निज घर में
तब डाॅक्टरों की जिन्दगी है अधबीच अधर में
एक तरफ आत्म बचाव दूजी तरफ है रोगी रक्षा
कर्तव्य की खातिर प्राणोत्सर्ग है जिनकी शिक्षा
ऐसे डाॅक्टरों ने चुना सेवा पथ पर जोखिम अध्याय
इसीलिए डाॅक्टर कहाते जग में मानव सेवा का पर्याय
संक्रमितों को बचाते डाॅक्टर हुए कोविड -19 शिकार
मरीजों का मर्ज लेने लगा डाॅक्टर अंतस में आकार
डाॅ पंजवानी ने जंग लडते - लडते प्राण गंवाए
जीवन - मृत्यु संघर्ष में अंततः वे देश के काम आए
कोरोना जंग में हंसते - हंसते किया निज प्राणोत्सर्ग
ये जानते हुए भी कि शहीदों में नहीं गिना जाएगा ये उत्सर्ग
कांच के बक्से में बन्द डाॅ शत्रुघ्न की बाहर आई काया
न तिरंगा लिपटा था न था आसपास सैनिकों का सरमाया
तीनों बेटे थे विदेश पत्नी थी रो - रो कर निढाल
जिसने भी इस दृश्य को देखा हुआ वो बेहाल
टप - टप करके बह रही थी अबला की अश्रुधार
एक चिकित्सक कर्तव्य वेदी पर बना कर्म आधार
अंत समय परिजन कर न पाए काया अंतिम दर्शन
कोरोना जंग का इससे भयावाह नहीं दूजा आकर्षण
जाओ! पंजवानी तुम्हारी ये शहादत हम भुला न पाएंगे
चिकित्सा गौरव की चर्चा में साथ सदा तुम्हें अपने पाएंगे
तुम एक डाॅक्टर ही नहीं, हो कर्मशीलता के नायक
कोविड-19 की जंग में बने मुल्क के पहले महानायक
तुम्हारे महाप्रयाण को कहना मृत्यु होगा मौत का अपमान
इस बलिदानी राष्ट्रोत्सर्ग ने बढाया है सचमुच मौत का मान
ऐसे बलिदानी मरा नहीं करते, वे मर कर अमर हो जाते हैं
इतिहास उन्हें सदा पूजता, वो मर कर मानवता के काम आते हैं
जाओ डाॅ पंजवानी नत मस्तक हो करते तुम्हें सादर प्रणाम
सेवा पथ पर स्वर्ण अक्षरों में लिखा जाएगा तुम्हारा नाम
जो जवान सीमाओं पर लडते - लडते हैं प्राण गंवाते
ऐसे योद्धा भारत माता के वीर सपूत सदा कहलाते
लेकिन जो डाॅक्टर देते - देते मानवता को जीवनदान
एक दिन खुद कर जाते हैं मानवता खातिर प्राण दान
उनका जीवन जीवन न रहकर बन जाता है वरदान
इतिहास कभी भुला नहीं पाता ऐसा अमर अवदान
मानवता के ऐसे मसीहा को हो नत मस्तक करते बारंबार प्रणाम
कोविड - 19 के इतिहास में पहले सफे पर लिखा जाएगा ये नाम।